उल्लू ऐप पर बैन: अश्लील कंटेंट, सरकारी कार्रवाई और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की आज़ादी पर सवाल

उल्लू ऐप पर बैन: अश्लील कंटेंट, सरकारी कार्रवाई और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की आज़ादी पर सवाल

उल्लू ऐप क्या है?

उल्लू ऐप एक भारतीय ओटीटी (OTT) स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म है जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था। इस प्लेटफॉर्म को मुख्यतः बोल्ड, एडल्ट और रोमांटिक थ्रिलर वेब सीरीज़ के लिए जाना जाता है। इसकी टारगेट ऑडियंस खासतौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा हैं, जहां मनोरंजन के विकल्प सीमित हैं और टीवी पर पारिवारिक सेंसरशिप भारी होती है।

उल्लू का मकसद था "सस्ते सब्सक्रिप्शन" में "डायरेक्ट-टू-फोन" कंटेंट पहुंचाना, जिसमें रोमांस, थ्रिल और मिस्ट्री की झलक हो। और इसमें वो कामयाब भी रहा – ऐप ने कम समय में लाखों डाउनलोड्स हासिल किए, और हर महीने नई वेब सीरीज़ रिलीज़ करके दर्शकों को जोड़े रखा।


हाल ही में क्या हुआ?

2024 के आख़िरी महीनों में सोशल मीडिया पर अचानक खबरें फैलने लगीं कि उल्लू ऐप को भारत में बैन कर दिया गया है। कई यूज़र्स ने शिकायत की कि वे न तो ऐप को इंस्टॉल कर पा रहे हैं, न ही एक्सेस कर पा रहे हैं। कुछ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) पर उल्लू की वेबसाइट और ऐप दोनों ब्लॉक दिखा रहे हैं।

हालाँकि, सरकार की ओर से कोई प्रत्यक्ष सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं हुआ था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और इंटरनेट ब्लॉक्स ट्रैक करने वाले प्लेटफॉर्म्स ने इसकी पुष्टि की कि कुछ नेटवर्क्स पर उल्लू की सेवाएं सरकारी आदेश के तहत रोकी गई हैं


बैन के पीछे की प्रमुख वजहें

1. अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट

उल्लू ऐप पर अक्सर ऐसे कंटेंट दिखाए जाते हैं जिनमें वयस्क थीम, बोल्ड दृश्य, और सहज रूप से अश्लील समझे जाने वाले सीन शामिल होते हैं। भले ही कंपनी इसे “18+ एंटरटेनमेंट” कहती हो, लेकिन कई बार इसकी वेब सीरीज़ में कहानी की जगह सिर्फ सेक्सुअल कंटेंट को बढ़ावा देने का आरोप लगा है।

सरकार को लगातार ऐसे कंटेंट को लेकर शिकायतें मिल रही थीं – खासकर महिलाओं के वस्तुकरण और युवा वर्ग को प्रभावित करने के मुद्दे पर।

2. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उल्लंघन

भारत का आईटी अधिनियम, 2000 इंटरनेट पर अश्लील और गैरकानूनी सामग्री के वितरण को नियंत्रित करता है। उल्लू जैसे ऐप, जो बिना किसी सेंसर बोर्ड की मंज़ूरी के सीधे मोबाइल पर अश्लील कंटेंट पहुंचाते हैं, उन पर इस अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।

बताया जा रहा है कि उल्लू ने पर्याप्त मॉडरेशन या कंटेंट क्लासिफिकेशन का पालन नहीं किया, और इसी कारण से इसे आंशिक रूप से ब्लॉक किया गया।


क्या उल्लू अकेला टारगेट है?

नहीं। उल्लू से पहले भी 'कूका टीवी', 'प्राइम शॉट्स', और अन्य कुछ छोटे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर कार्रवाई की गई थी। भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश की है, ताकि इंटरनेट पर बिना किसी रेगुलेशन के अश्लील सामग्री का प्रसार न हो।

इसी कड़ी में डिजिटल मीडिया नियम, 2021 (IT Rules 2021) लाया गया था, जिसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए थ्री-टियर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की बात की गई। उल्लू जैसे ऐप्स पर इस नियम का पालन ना करने का आरोप भी लगाया गया है।


यूज़र्स की प्रतिक्रिया

उल्लू के बैन की खबर सुनते ही सोशल मीडिया पर दो तरह की राय सामने आई:

पक्ष में राय:

  • यह ऐप “अश्लीलता का प्रचार” कर रहा था।

  • युवा पीढ़ी को गलत दिशा में ले जाने वाला कंटेंट” दिखाया जा रहा था।

  • महिलाओं को गलत तरीके से पेश किया जा रहा था”।

विरोध में राय:

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म की स्वतंत्रता छीनी जा रही है”।

  • वयस्क दर्शकों के पास चुनाव की आज़ादी होनी चाहिए”।

  • यह कंटेंट सेंसरशिप की शुरुआत है, जो आगे और बढ़ सकती है”।


बैन का असर

1. ओटीटी इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ेगा

बड़े प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और हॉटस्टार पहले से ही अपने कंटेंट पर सख्ती से नज़र रखते हैं, लेकिन छोटे ऐप्स को अब अपने कंटेंट के थीम, भाषा और प्रस्तुतिकरण में बदलाव करना पड़ेगा।

2. बोल्ड कंटेंट के क्रिएटर्स की मुश्किलें बढ़ेंगी

जो कलाकार, लेखक और निर्देशक बोल्ड कंटेंट पर फोकस कर रहे थे, उनके लिए काम की गुंजाइश कम हो सकती है। ये लोग अब मेनस्ट्रीम ओटीटी पर शिफ्ट होने की कोशिश करेंगे, जो अपने आप में एक चुनौतिपूर्ण प्रक्रिया है।

3. यूज़र्स का भरोसा टूट सकता है

यदि बार-बार ओटीटी ऐप्स पर बैन लगता रहा, तो यूज़र्स की कंटेंट प्लेटफॉर्म्स पर विश्वास कम हो सकता है, जिससे इंडस्ट्री को आर्थिक झटका लगेगा।


क्या उल्लू वापसी कर सकता है?

फिलहाल उल्लू ऐप को पूरी तरह से स्थायी रूप से बैन नहीं किया गया है। यह एक आंशिक प्रतिबंध है, जिसे ऐप की गाइडलाइंस में बदलाव, कंटेंट मॉडरेशन और सरकारी नियमों का पालन करके हटाया जा सकता है।

ऐसा पहले भी हुआ है — TikTok, PUBG Mobile, और कई चीनी ऐप्स पर बैन के बाद भी उनके "लाइट वर्ज़न" या क्लोन वापसी करते रहे हैं। इसलिए, उल्लू भी अपने प्लेटफॉर्म को रीब्रांड करके, कंटेंट क्लीन करके या नया ऐप लॉन्च करके वापसी की कोशिश कर सकता है।


निष्कर्ष: यह सिर्फ एक ऐप नहीं, एक संदेश है

उल्लू ऐप का बैन सिर्फ एक ओटीटी प्लेटफॉर्म को बंद करने का मामला नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि डिजिटल दुनिया अब भी 'नियमों' के दायरे में है। इंटरनेट की आज़ादी का मतलब यह नहीं कि बिना किसी जवाबदेही के कुछ भी दिखाया जाए।

सरकार का यह कदम उन सभी डिजिटल क्रिएटर्स और प्लेटफॉर्म्स के लिए चेतावनी है जो “एंटरटेनमेंट” के नाम पर “एक्सप्लॉइटेशन” करते हैं।


आपके विचार?

क्या आपको लगता है कि उल्लू जैसे ऐप्स पर बैन जरूरी था?
या फिर यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण है?

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